हमारी शिक्षा प्रणाली
शीर्षक हमारी शिक्षा प्रणाली
जैसा कि हम जानते है हमारे देश में शिक्षा का बहुत अधिक महत्व है और हम सभी को शिक्षा का अधिकार है और आज के इस कहानी में हम शिक्षक प्रणाली कैसे काम करती है यह जानेंगे
यह कहानी है एक लड़के की जिसका नाम राजेंद्र था
राजेंद्र अपने शुरुवात समय से पढ़ने में रुचि रखता था और वह अपने पढ़ाई के उद्देश्य से स्कूल में एडमिशन लेने पहुंचा।
"सबसे पहले वह उप प्राचार्य के पास पहुंचा और उप प्राचार्य ने उसका एडमिशन लेने से मना कर दिया क्योंकि वह एडमिशन के लिए डोनेशन फीस दे नही पा रहा था और दूसरा कारण यह भी था की उसकी जाती छोटी थी"।
वहा के स्कूल मे ऐसी प्रणाली बन गई थी की यहां पर उच्च वर्ग के बच्चे पड़ेंगे और जो डोनेशन दे सकता है।
राजेंद्र उदास होकर वहा से निकल ही रहा था की उसका सामना महेश (स्कूल का चपरासी) से हुआ।
महेश का कहना था की "मुझे कुछ पैसे दे दो तुम्हारा एडमिशन कम डोनेशन में करवा दूंगा"।
महेश की बातो से समझ आ रहा था की स्कूल में कैसी प्रणाली हो रही है जहा शिक्षा अच्छी होनी चाहिए वहा पर शिक्षा का व्यापार ही हो रहा है।
राजेंद्र धीरे धीरे शिक्षा प्रणाली को देख रहा था और फिर बाहर जाते समय उसकी नजर कुछ कक्षाओं में गई ।
राजेंद्र ने बाहर से कक्षाओं में देखा की कुछ शिक्षक कक्षा के अंदर तो है पर वे आराम फरमा रहे है कुछ लोग अपने मोबाइल पर टाइम पास कर रहे तो कुछ लोग सो रहे हैं तो कुछ लोग बेतुकी बातें कर रहे हैं।
उन सभी का शिक्षा के प्रति जो जिम्मेदारी कर्तव्य होना चाहिए वह नजर नही आ रहा था।
राजेंद्र ने उस वक्त जाना यह कैसी शिक्षा प्रणाली है जो अच्छी तरह से काम नहीं कर रही है।
कुछ कदम आगे चलते हुए उसकी नजर क्रीडा विभाग में गई
जहां के शिक्षक को ठीक तरह से खेल के बारे में जानकारी नही थी और वह खेलने वाले विधार्थी को गलत सीखा रहा था और कह रहा था की "जो विधार्थी मुझे जितनी ज्यादा मोती रकम देगा उसका नाम मैं चयनित करके आगे के खेलो में भेजूंगा",।
राजेंद्र ने जाना की खेल को खेलना सभी का हक है पर यहां पर ऐसा क्यों हो रहा है खेल के लिए भी ऐसी प्रणाली क्यों बनाई गई है?
आगे जब बढ़ा तब उसकी नजर प्रयोगशाला में गई और वहा पर बहुत सारे उपकरण भी नही थे जिससे बच्चे प्रयोग कर सके।
वहा पर एक बात सुनी की "बच्चो प्रयोगशाला के उपकरण के लिए आपको कुछ पैसे जमा करना है और जिसे प्रयोग में अच्छे नम्बर लाने हो मुझे अच्छी रकम देना होगा "।
राजेंद्र ने जाना की यह शिक्षा प्रणाली इतना कैसे कर सकती हैं बच्चो से हर बात के लिए पैसा मांग रही है।
राजेंद्र जब आगे बढ़ा तब पानी पीने की व्यवस्था भी ठीक नही थी बच्चो के लिए दूषित पानी था और वे सभी उसी पानी को पीते थे
जब मैने पानी देने वाले से कहा यह दूषित पानी क्यो?
पानी देने वाले ने कहा मुझे अलग से पैसे नही मिलते न ही यह लोग मेरे लिए कुछ कर पाते।
जब वह थोड़े आगे गया तब उसने एक कक्षा के अंदर प्रवेश किया और कुछ बच्चो की किताबे देखी जिसमे से आधे विषय की किताबे मिली ही नहीं थी और कुछ किताबे पढ़ने लायक नही थी तब इस बात की पड़ताल करने के लिए वह पुस्तकालय तरफ गया और वहा से पता चला की यह पुस्तक बेच रहे हैं न की फ्री में दे रहे हैं।
राजेंद्र को धीरे धीरे सभी के बारे में पता चल रहा था यदि इस स्कूल में इस तरह से कार्य हो रहे हो ,इस तरह की शिक्षा प्रणाली चल रही हो तो राजेंद्र यहां से अपनी शुरुवाती शिक्षा नही करेगा बल्कि कही और से करेगा।
राजेंद्र को यह बात पता चली की इस स्कूल में जीतना भी सरकार के तरफ से पैसा आया था उसका उपयोग हुआ ही नहीं है और उसका गफला करके बच्चो को गलत शिक्षा प्रणाली दे रहे हैं।
और यहां के लोगो ने शिक्षा का दुरुपयोग किया है ,जो नियम शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत आते थे उसका उलंघन करके गलत कार्य किया।
बच्चो को भी दिक्कत हुई और उनकी पूर्ण तरह से शिक्षा नहीं हुई
इस तरह से बहुत सारे मुद्दे राजेंद्र को पता चला।
राजेंद्र ने खुद से वादा किया की आज मैं यहां से जा रहा हूं पर पुनः मैं वापस यहां आऊंगा और यह सब बदल दूंगा।
राजेंद्र दूर के बड़े स्कूल में एडमिशन लिया और वहां से अपनी शुरुवाती शिक्षा उच्च शिक्षा पूर्ण की और फिर करीबन 10 साल के बाद अच्छा खासा पढ़ाई करके एक ऊंचे पद पर पहुंच गया और वह एक प्राचार्य के पद पर पहुंच गया।
राजेंद्र ने अपनी इच्छा से वही स्कूल को चुना जहा पर उसको पहले एडमिशन नही मिल रहा था और शिक्षा प्रणाली का गलत प्रयोग हो रहा था।।
सबसे पहले राजेंद्र आने की कोई जानकारी दिए बिना स्कूल में ज्वाइनिंग के लिए निकल जाता हैं और स्कूल जब पहुंचता है तब उसको कोई पहचान नहीं पाते और स्कूल पहुंचने पर बहुत सारे नजारे को देखता है और सबसे पहले उसका सामना महेश (स्कूल के चपरासी) से होता है।
राजेंद्र ने महेश से कुछ बाते की
राजेंद्र : नमस्ते आपका नाम क्या हैं? आप कौन हो ?
महेश: नमस्ते मेरा नाम महेश है और मैं यहां पर चपरासी हु।
राजेंद्र: मैने सुना है यहां पर प्राचार्य का पद खाली है और उसके स्थान पर उपप्राचार्य बैठा हुआ है।
महेश: जी ठीक सुना है।
राजेंद्र : मुझे उनके ऑफिस पर जाना है तो किस तरफ से जाते है
महेश : कुछ पैसे लगेंगे तब ही बताऊंगा।
राजेंद्र को समझ आया की अब भी यहां पर यह सब होता है मुझे और ठीक से पता लगाना होगा और तब तक के लिए मै इन्हें कुछ भी नहीं बताऊंगा ।
कुछ कदम चलने के बाद पुस्तकालय में नजर आती हैं और वहा के सर से बात करते है।
राजेंद्र: नमस्ते आपका श्रीमान
सर :,जी नमस्ते
राजेंद्र : मुझे कुछ किताबे पढ़ने चाहिए
सर: जी यह लीजिए
राजेंद्र: पर यह कुछ किताबे फटी हुई हैं मुझे new किताबे चाहिए
सर; उसके लिए पैसे लगेंगे तब दूंगा
राजेंद्र कुछ कदम आगे बढ़ता है तब उसको प्यास लगती हैं और पानी देने वाले से कहता है
राजेंद्र: भैया मुझे प्यास लगी है पानी पिला दीजिए
पानी वाला:, जी
राजेंद्र :यह किस तरह का पानी है मुझे साफ सुथरा चाहिए
पानी वाला: उसके लिए पैसे लगेंगे
राजेंद्र जब आगे बढ़ता है तब उसकी मुलाकात क्रीड़ा अधिकारी से होती है
राजेंद्र: मुझे कुछ खेल को खेलना है क्या आप वह सब दे सकेंगे
क्रीडा अधिकारी; हा
राजेंद्र: अरे यह क्या यह सब तो खराब है कभी भी टूट जायेंगे अच्छे वाले दीजिए।
क्रीडा अधिकारी: उसके लिए पैसे लगेंगे
राजेंद्र आगे बढ़ता है तब उसकी मुलाकात कुछ शिक्षको से होती है और उनसे बात करता हुआ
राजेंद्र: मुझे यह विषय पर कुछ टॉपिक समझना है आप समझा देंगे
शिक्षक : हा कक्षा में आ जाइए
राजेंद्र : हा।
शिक्षक :आओ बैठो
राजेंद्र ; बहुत समय हो चुका है आप कुछ बता नही रहे हो
शिक्षक; उसके लिए पैसे देना होगा।
राजेंद्र अंत समय में उप प्राचार्य के पास पहुंचता है और उससे बात करता है
राजेंद्र :, नमस्ते सर जी मैं यहां पर अपने बेटे का एडमिशन कराने आया हु
उप प्राचार्य: हा हो जायेगा
राजेंद्र ;जी धन्यवाद सर
उप प्राचार्य: धन्यवाद से काम नहीं चलेगा कुछ पैसे देंगे होंगे।
राजेंद्र को अब पूरी तरह से जानकारी मिल चुकी थी की वह जिस तरह से पहले स्कूल को छोड़कर गया था और अब के समय में जैसी स्थिति है तो इससे यह जाहिर हो गया है कि यहां पर शिक्षा प्रणाली का गलत प्रयोग किया गया है।
सभी लोग का एक ही उद्देश्य बन गया है पैसे कमाना
यह सभी शिक्षा का व्यापार करके पैसे कमा रहे हो और शिक्षा प्रणाली का गलत प्रयोग कर रहे हैं।
इस स्कूल में किसी भी स्तिथि का ध्यान रखा नहीं जाता इस स्कूल में न पढ़ाई होती, न पढ़ाते, न खाना अच्छा मिलता, न पानी मिल पाता इत्यादि तरह तरह की समस्या है और इन सभी के समाधान हेतु राजेंद्र ने उस स्कूल को चुना है।
सारी बाते जानकर जब राजेंद्र ने अपना परिचय बताया तब सभी लोग आश्चर्य से हो गए और घबराने भी लगे।
राजेंद्र ने कहा "अब तक जो भी हुआ अब यदि होता है तो मैं सभी को बाहर निकाल दूंगा"।
राजेंद्र के आने से सभी घबरा गए थे और सभी में सुधार होने लगा
सभी को अच्छा पानी मिला,सभी को अच्छी किताब मिली,सभी को अच्छी शिक्षा मिली,क्रीडा के अपने अपने खेल सामग्री मिली,और सभी को एडमिशन भी मिला।
राजेंद्र के आने से शिक्षा प्रणाली पूरी तरह से बदल गई और ईमानदारी से काम करने लगी।
सभी स्टूडेंट्स को शिक्षा प्रणाली का भरपूर फायदा भी मिला और हम सभी को सीखने का मौका भी मिला।
राजेंद्र के आने का असर प्रयोगशाला में भी पढ़ा और वहा पर वे सभी उपकरण भी आए और सभी ने अच्छे से प्रयोग भी किया।
ठीक अच्छा काम हो रहा था जैसा होना चाहिए था ।
राजेंद्र के आने से सभी गफलाबाजी ,कालाबाजारी लूटपाट बंद हो गई और एक ऐसा स्कूल जो बदनाम हुआ करता था वह स्कूल का नाम ऊंचा हो गया।।।।
इस तरह से शिक्षा प्रणाली का उपयोग होकर सभी को इसका फायदा मिला और सभी लोग इससे खुश हुए।
जब यह बात उस गाओ में पता चली तब धीरे धीरे आगे आने वाली एडमिशन होते गए और हर कोई बच्चा यहां पर एडमिशन लेकर पढ़ने लगा।
और यहां की शिक्षा प्रणाली खराब से बेहतर साबित हुई।
Priyanshu choudhary
#प्रतियोगिता हेतु
नंदिता राय
12-Feb-2024 04:41 PM
Nice
Reply
Mohammed urooj khan
08-Feb-2024 11:37 AM
👌🏾👌🏾👌🏾
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Shnaya
07-Feb-2024 07:36 PM
Nice
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